एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट से पता चलता है कि प्रॉपर्टी कानूनी पचड़ों और वित्तीय बोझ से मुक्त है या नहीं ।
Encumbrance Certificate- EC एक कानूनी दस्तावेज है जिसमे किसी भी प्रॉपर्टी को लेकर हर जरूरी जानकारी दर्ज होती है जैसे कि उस प्रॉपर्टी पर कोई लोन तो नहीं लिया गया है और अगर लिया गया है तो उसे चुकाया गया है या नहीं, उस संपत्ति पर किसी तरह का मुकदमा तो नही चल रहा है, संपत्ति पर कोई थर्ड पार्टी क्लेम तो नहीं है, संपत्ति का मालिकाना हक किसके पास है, अभी तक यह प्रोपर्टी कितने लोगों के पास रह चुकी थी तथा वर्तमान में इसका मालिक कौन है। इन तमाम तरह की जानकारी Encumbrance Certificate में दर्ज होती है या संक्षिप्त में कहे तो एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट, से यह आसानी से पता चल जाता है कि संपत्ति वित्तीय और कानूनी झमेलों से युक्त है या मुक्त।
एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट कैसे बनवाये
अगर आप इसे ऑफलाइन बनवाते है तब आपको अपने क्षेत्र में तहसीलदार ऑफिस में जा कर एक फॉर्म भरना होगा जिसके लिए कुछ आवश्यक दस्तावेज की जरूरत होगी जैसे कि एड्रेस प्रूफ जिसके लिए एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट चाहते है, अगर आपने प्रॉपर्टी डीड बनाई है तो उसकी कॉपी आदि जमा करना होगा । जमा करने के बाद एक महीने तक का समय लगता है सर्टिफिकेट आने में ।
इसके अलावा भारत के बहुत से राज्यों में यह सुविधा ऑनलाइन भी उपलब्ध है जिसके लिए आप ऑनलाइन भी अप्लाई कर सकते हैं। 12 से 30 साल तक के एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट आप बनवा सकते है ।
एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट की जरूरत कब पड़ती है
जब आप प्रोपर्टी खरीदते है तब इस सर्टिफिकेट की जरूरत पड़ती है, क्योंकि यही इस बात का प्रमाण होता है संपत्ति हर तरह के कानूनी पचड़ों और वित्तीय बोझ से मुक्त है ।या फिर आज जब प्रोपर्टी बेचते है तब इसकी जरूरत पड़ सकती है खरीदार इसे मांग सकता है ।
संपत्ति खरीदने के लिए होम लोन लेते हैं, तो आपकी लोन एप्लिकेशन मंजूर करने से पहले बैंक कई बार आपसे एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट की मांग कर सकते हैं।
प्रॉपर्टी खरीदने के लिए अपने प्रॉविडेंट फंड से पैसा निकालते हैं तो आपका नियोक्ता आपसे एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट की मांग कर सकता है।